*शीतकालीन सत्र में सदन की कार्यवाही की शुरुआत “राष्ट्रगान और राजकीय गीत” से ना होना गौरवशाली परंपरा के विरुद्ध - JCCJ*



 *”जन गण मन” राष्ट्रीय एकता और “अरपा पैरी के धार” राज्य की सांस्कृतिक पहचान का जानबूझकर अपमान - अर्जुन राठौर* 

*छत्तीसगढ़ विधानसभा में राज्य के गौरव एवं संवैधानिक मर्यादा का दोहरा अपमान -अर्जुन*

सक्ति 

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के जिला अध्यक्ष अर्जुन राठौर ने कहा कल 14/12/25 का दिन छत्तीसगढ़ के लोकतांत्रिक इतिहास और राजकीय गौरव के लिए के लिए गौरवशाली परंपरा और छत्तीसगढ़ साढे तीन करोड़ जनता का अपमान का दिन है। राज्य की विधानसभा, जो जनता की आस्था और संवैधानिक परंपराओं का सर्वोच्च मंदिर है, वहां आज छत्तीसगढ़ की अस्मिता पर एक साथ दो कुठाराघात किए गए।

उन्होंने कहा पहला और गंभीर अपमान - राज्य विधानसभा के इतिहास में पहली बार, सदन की कार्यवाही की शुरुआत न तो राष्ट्रगान 'जन गण मन' से हुई और न ही राज्यगीत 'अरपा पैरी के धार' से। यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और राज्य की सांस्कृतिक पहचान के प्रति जानबूझकर की गई अवमानना है। 01 नवम्बर 2000 को नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य की पहली विधानसभा की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई थी। यह एक गौरवशाली परंपरा और संवैधानिक मर्यादा थी, जिसे आज तोड़ा गया है।

दूसरा पुराना जख्म - इससे पहले ही विधानसभा भवन से राज्य की महान विभूति और समाज सुधारक स्वर्गीय मिनीमाता जी के नाम को हटाया जा चुका है। यह हमारे महापुरुषों के प्रति सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला कदम था। यह दोगुना अपमान है, पहले हमारे महान व्यक्तित्वों का, और अब हमारे राष्ट्रीय प्रतीक और राज्य गौरव का अपमान है। 'अरपा पैरी के धार' केवल एक गीत नहीं, यह छत्तीसगढ़ की आत्मा है, यहाँ

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