सांस्कृतिक विकास मंच सक्ति के तत्वावधान में गायत्री शक्ति पीठ सक्ती में काव्य एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बतौर अतिथि शिवदत्त पांडे, बलभद्र प्रसाद शुक्ला, संजय पांडे, महावीर चंद्रा एवं मुकुंद जायसवाल उपस्थित रहे। मंच के सदस्यों द्वारा गीता-ग्रंथ पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। सर्वप्रथम गीता के प्रथम अध्याय का सामूहिक पाठ किया गया। इसके पश्चात दिनेश साहू ने एक भजन मैं तो गाता रहूं तेरा नाम, तेरे चरणों में चारों धाम की संगीतमय प्रस्तुति दी। काव्य पठन के क्रम में मंच के संरक्षक रमेश सिंघानिया ने ज्ञान-कर्म का भक्ति-योग का, पाठ पढ़ाती गीता। संशय की बदली को मन से, दूर हटाती गीता।। कविता प्रस्तुत की। डी पी राठौर ने श्रीमद् भगवत गीता महिमावली का पाठ किया। गिरधारी लाल चौहान ने "गीता का ज्ञान करे, पग-पग कल्याण" भगत राम साहू ने "गीता उपदेश सुन, मन में ये रोज गुन" कवियत्री शुचिता साहू ने "अर्जुन भी हिम्मत हार गया, जब देखा रण में अपनों को" की प्रस्तुति दी। इसके अलावा महावीर चंद्रा, मनीषा भारद्वाज, गीता चंद्रा आदि ने भी कविताएं सुनाई। मंच के अध्यक्ष एल आर जायसवाल ने "गीता और मानव जीवन", बलभद्र प्रसाद शुक्ला ने "गीता की महिमा", संजय पांडे ने "गीता आज के परिप्रेक्ष्य में" विषयों पर अपने विद्वतापूर्ण विचार व्यक्त किए। शिवदत्त पांडे ने गीता को सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ बताया। मुकुंद जायसवाल ने गीता के अनेक श्लोकों का उल्लेख करते हुए कहा कि गीता पढ़ कर जीवन को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है। शालू पाहवा ने अपने उद्बोधन में गीता से संबंधित संचित पुण्य पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में रामावतार अग्रवाल, डी डी चंद्रा, चतुर सिंह चंद्रा, हरीश दुबे, हरिसिंह सिदार, राजकुमार पटेल, प्रकाश चंद देवांगन, हीरानंद साहू, यशवंत
जायसवाल, श्याम सुंदर अग्रवाल, लक्ष्मी साहू, संतोषी गुप्ता, भगवती साहू, विजया जायसवाल आदि की उपस्थिति रही। मंच संचालन भगत राम साहू ने किया।

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