*प्रकृति करती है शिवलिंग का अनवरत जलाभिषेक.,तुर्रीधाम को तीर्थ स्थल का सम्मान दिला कर, सरकार करे समुचित विकास...चितरंजय*




श्रावण मास_एकादशी और सोमवार का दिन तुर्रीधाम में शिवभक्तों का अदभुत संगम प्रतीत हो रहा था, क्योंकि प्रातः से शिवभक्त नर_नारियों का समूह हाथों में जल पात्र और कंधे पर कांवर लेकर भगवान भोलेनाथ के दर्शन पूजन करने पहुंचे थे।छत्तीसगढ़ के नवीन जिला सक्ती से करीब १० किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुर्री धाम में ८ फुट की गहराई में अवस्थित शिव लिंग का प्रकृति हमेशा जलाभिषेक करती है अर्थात प्राकृतिक जल स्त्रोत से जल धारा (तुर्री) अनवरत शिवलिंग पर प्रवाहित होता है। 

इस संबंध में अधिवक्ता चितरंजय पटेल ने बताया कि मंदिर के पुजारी से मात्र यही जानकारी मिलती है कि इस अनोखे स्थापत्य कला के मंदिर में शिवलिंग पूर्वाभिमुख है तथा इस मंदिर का निर्माण सक्ती राज परिवार के द्वारा प्राचीन काल में कराया गया है जिसका देख_रेख और रंग_रोगन के साथ मंदिर के प्रबंधन का दायित्व आज भी  सक्ती राज परिवार के ही अधीन है, तो वहीं मंदिर के प्रति जहां अंचल के श्रद्धालुओं के आस्था का सवाल है वे इसे किसी ज्योतिर्लिंग से कम नहीं मानते हैं क्योंकि यह कहा जाता है कि एकमात्र तुर्रीधाम का ही 

शिवलिंग है जिसका प्रकृति हर समय, हर मौसम और हर परिस्थिति में अभिषेक करती है फलस्वरूप सक्ती अंचल के पावन धरा तुर्रीधाम शिवभक्तों के लिए अत्यंत ही पूज्यनीय है जहां श्रद्धालु बारहों मास दर्शनार्थ पधारते हैं, लेकिन श्रावण मास में अन्य सीमावर्ती प्रदेशों से, खासकर उड़ीसा से अधिक संख्या में शिव भक्त अपनी मनोकामना लेकर तुर्रीधाम पहुंचते है ।

आज आवश्यकता है कि छत्तीसगढ़ सरकार इस धार्मिक स्थान को छत्तीसगढ़ के पर्यटन मानचित्र में लाकर तुर्रीधाम को तीर्थ स्थल के रूप में सम्मान दिलाते हुए समुचित सुविधाओं के साथ विकसित करे जिसके लिए स्थानीय मीडिया का भी समुचित सहभागिता अपरिहार्य है।

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