गाईडलाईन की दरों में 10 से 100 प्रतिशत बढ़ोतरी अनुचित, अदूरदर्शी निर्णय इस निर्णय से बेरोजगारी बढ़ेगी, आर्थिक मंदी आयेगी - नवनियुक्त कांग्रेस जिला अध्यक्ष श्रीमती रस्मी गबेल ने प्रेस वार्ता में कहीं





जिला अध्यक्ष रश्मि गबेल ने स्थानीय शक्ति रेस्ट हाउस में प्रेस वार्ता में  कही कि भाजपा की सरकार आने के बाद भूमि की सरकारी दर 40 से 500 प्रतिशत बढ़ गयी

जमीनों की गाइडलाइन दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी से राज्य में आएगी आर्थिक मंदी- रश्मि गबेल, जिला कांग्रेस कमेटी ने 1 दिसंबर को करी पत्रकार वार्ता, राज्य सरकार के निर्णय के विरोध में अग्रसेन चौक में किया गया पुतला दहन, पूर्व जिला अध्यक्ष त्रिलोकचंद ने रश्मि को सौपा अपना प्रभार, त्रिलोकचंद ने कहा- रश्मि को मेरे से ज्यादा राजनैतिक अनुभवहै

जमीनों के गाईड लाइन दर बढ़ाने का कांग्रेस विरोध करती है. यह सरकार का अदूरदर्शी फैसला है। गाईडलाइन की दर बढ़ने से आम आदमी को परेशानी होगी, लोगों का मकान, दुकान, फैक्ट्री बनाने का खर्च बढ़ जायेगा। भूमि की खरीदी-बिक्री बंद हो जायेगी या कम हो जायेगी, बेरोजगारी बढ़ेगी।

यह प्रदेश के विकास में बाधा पहुंचाने वाला फैसला है। इस फैसले का कांग्रेस पार्टी विरोध करती है।

पूरे देश में ऐसा कहीं नहीं हुआ कि एक साल में जमीन की गाईडलाईन 130 से 500 प्रतिशत तक बढ़ा दी गयी हो।

मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली, पुणे जैसे एवं अन्य बड़े शहरों में भी जमीन की गाईडलाईन की दर एक बार 4 10 से 15 प्रतिशत ही बढ़ाई जाने की परंपरा रही है।

सरकार पहले भूमि के गाईडलाईन दरों में कांग्रेस सरकार के समय दिये जाने वाले 30 प्रतिशत छूट को समाप्त कर दिया। अब अचानक से जमीनों की सरकारी कीमत 10 से 100 प्रतिशत बढ़ा दिया, मतलब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आने के बाद भूमि की सरकारी कीमत 40 से 130 प्रतिशत बढ़ गयी।


पिछले हफ्ते ही सरकार ने निवेश क्षेत्र में कृषि भूमि की रेट की गणना में परिवर्तन किया, यदि एक किसान को एक एकड़ जमीन बेचना है तो शुरूआत के 15 हजार वर्गफीट तक वर्गफीट के हिसाब से स्टांप ड्यूटी देना होगा तथा उसके बाद की जमीन पर हेक्टेयर के दर से स्टांप ड्यूटी देनी होगी। इससे राजधानी के आसपास कृषि जमीने खरीदना महंगा होगा, किसानों की जमीनें बिकना बंद हो जायेगी।


30 लाख की जमीन के लिए 22 लाख की स्टांप ड्यूटी कोई सरफिरि या तुनकमिजाज सरकार ही लगा सकती है। प्रदेश के कई शहरों के आसपास कुछ जगह ऐसी भी स्थिति बन गयी है कि अगर कोई 1000 फीट जमीन की खरीदी 6 लाख रु. में करता है तो उसे 4 लाख 40 हजार रु. रजिस्ट्री शुल्क चुकाना होगा, कुछ क्षेत्रों में रजिस्ट्री शुल्क और जमीन की कीमत एक बराबर होगी, कुछ क्षेत्रों में जमीन की कीमत से ज्यादा रजिस्ट्री शुल्क देना पड़ेगा। ऐसे गरीब आदमी मकान कैसे बनायेगा? तिनका तिनका जोड़कर और कर्ज लेकर जमीन खरीदने वालों को जमीन के साथ रजिस्ट्री के लिए भी कर्ज लेना पड़ेगा, फिर मकान बनाने पैसा कहाँ से इंतजाम करेगा?

सरकार ने पहले ही 5 डिसमिल से कम जमीनों की रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसके कारण गरीब आदमी मकान नहीं बना पा रहा, किसी के पास सिर्फ 1000 या 2000 वर्गफीट जमीन है तो वह उसमें से आधा नहीं बेच सकता।

ऐसा लगता है सरकार के फैसले जानबूझकर जनता को विशेषकर किसानों गरीबों और रियल स्टेट से जुड़े हुये लोगों को परेशान करने के लिये, लिये गये है।

सरकार के द्वारा जमीन की रजिस्ट्रियों के संबंध में, भूमि के गाईडलाईन के संबंध में सरकार के फैसले जनता के हितों के खिलाफ है। कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार रियल स्टेट सेक्टर देता है, सरकार के इस अनुचित फैसले से छत्तीसगढ़ में रियल स्टेट व्यवसाय की कमर टूट जायेगी।

कांग्रेस सरकार ने 5 डिसमिल से कम जमीन की रजिस्ट्री शुरू कर तथा गाईडलाईन की दर में 30 प्रतिशत छूट कर प्रदेश में रियल स्टेट सेक्टर में प्राण फूंका था, यही कारण था कि कोरोना के समय भी छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था मजबूत थी। वर्तमान सरकार के निर्णय से बेरोजगारी बढ़ेगी, अर्थव्यवस्था तबाह होगी, रियल स्टेट में गिरावट आयेगी।

सरकार का आर्थिक प्रबंधन फेल हो गया है। सरकार के पास अपनी योजनाओं को चलाने के लिए पैसा नहीं है इसीलिए सरकार विभिन्न मदों में टैक्स बढ़ा कर जनता पर बोझ थोप रही है। इसीलिए जमीन के गाईड लाईन के रेट बढ़ाये गये तथा बिजली के दाम बढ़ाये गये। बिजली बिल में 400 यूनिट छूट को समाप्त किया गया। अब जमीनों की रजिस्ट्री महंगी की जा रही है।

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