मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और सहायक जेल अधीक्षक के प्रयासों से विचाराधीन बंदी को मिली पारिश्रमिक राशि



माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुश्री शुभदा गोयल और सहायक जेल अधीक्षक श्री सतीशचंद्र भार्गव के संयुक्त प्रयासों से उपजेल सक्ती में  विचाराधीन बंदी हेमेंद्र उर्फ गोलू को 26,483 रुपये की पारिश्रमिक राशि प्राप्त हुई। यह राशि केंद्रीय जेल बिलासपुर में किए गए श्रम के बदले में दी गई है, जो बंदी अधिकारों और न्याय प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

         हेमेंद्र केंद्रीय जेल बिलासपुर में विभिन्न श्रम कार्यों में संलग्न था, लेकिन विचाराधीन होने के कारण उसे पारिश्रमिक मिलने में बाधाएं थीं। सीजीएम और सहायक जेल अधीक्षक ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा कराया, जिसके बाद हेमेंद्र को उसकी मेहनत का पूरा भुगतान किया गया।

       सहायक जेल अधीक्षक ने कहा, "हमारे प्रयास का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि विचाराधीन बंदियों को भी उनके श्रम का उचित पारिश्रमिक मिले। हेमेंद्र को चेक के माध्यम से 26,483 रुपये की राशि मिलना इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।"

       इस पहल से अन्य विचाराधीन बंदियों को भी लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे वे अपने कानूनी मामलों में सहायता प्राप्त कर सकेंगे और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार कर पाएंगे। न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उठाए गए इस कदम की व्यापक रूप से सराहना की जा रही है।

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