*सत्संग में दहेज रहित विवाह के साथ रक्तदान व देहदान शिविर का हुआ आयोजन*


शादी का नाम सुनते ही हमारे मन में सजे-धजे दूल्हा-दुल्हन की तस्वीर और बारात में बजते ढोल-ताशे की झलक दिख जाती है। आपने कभी सोचा है कि ऐसी भी शादी हो सकती है, जिसमें कोई बाराती ना हो, डीजे बजाने वाले और नाचने-गाने वाले ना हों। ये नजारा रविवार को संत रामपाल जी महाराज के एक दिवसीय सत्संग शिविर में देखने को मिला। यहां 1 जोड़े का दहेज मुक्त विवाह (रमैनी) कर दहेज की परंपरा को बंद करने का संदेश दिया गया।


सक्ती स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी सामुदायिक भवन में रविवार को संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में दहेज मुक्त विवाह, आध्यात्मिक सत्संग, रक्तदान शिविर व देहदान संकल्प का आयोजन हुआ। इसमें संत रामपाल जी के अनुयायियों द्वारा दहेज, नशा और व्यभिचार मुक्त समाज बनाने की अपील की गई। इस अवसर पर 1 जोड़े की दहेज मुक्त विवाह का आयोजन भी किया गया। इसमें कोई फिजूल खर्ची नहीं की गई। बिना किसी दिखावे और आडंबर के, केवल पवित्रता और सादगी के साथ विवाह गुरुवाणी से मात्र 17 मिनट में डभरा निवासी मनहरण दास चंद्रा के साथ मालखरौदा निवासी पिंकी दासी चंद्रा का विवाह संपन्न कराया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में प्रचलित दहेज प्रथा को समाप्त करना और विवाहों को केवल प्रेम और संप्रग्नता के आधार पर स्थायित्व प्रदान करना था। 


          उक्त कार्यक्रम में संत जी के अनुयायियों द्वारा एक अनोखी पहल देखने को मिली। जिसमें संत जी के अनुयायियों द्वारा जरूरत मंद व्यक्तियों के लिए रक्तदान व देहदान शिविर का भी आयोजन किया गया। जिसमें संत जी के अनुयायियों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। इस शिविर में 50 यूनिट रक्तदान के साथ 100 से भी अधिक लोगों ने मृत्युपरांत देहदान करने का संकल्प लिया। ऐसे ही समाज कल्याण के लिए अनेकों पहल संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा होती ही रहती है। ऐसे ही अनेकों धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में संत रामपाल जी महाराज जी का नाम सबसे आगे रहता है।


संत रामपाल जी महाराज ने समाज को जागरूक करते हुए कहा कि दहेज प्रथा, नशे की लत और व्यभिचार जैसी सामाजिक बुराइयों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए हमें अपने आचरण व व्यवहार में सुधार लाना होगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि परिवारों को केवल भौतिक वस्तुओं से नहीं, बल्कि प्यार और सम्मान से जोड़ने की जरूरत है। संत रामपाल ने जनसमूह से आह्वान किया कि वे समाज में फैली हुई कुरीतियों और बुराइयों के खिलाफ अपनी आवाज उठाएं और एक बेहतर, धर्मनिष्ठ समाज की दिशा में कदम बढ़ाएं। उन्होंने यह संदेश दिया कि यह कदम केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सत्संग और विवाह के आयोजन ने समाज में एक सकारात्मक बदलाव की नींव रखी है। उक्त कार्यक्रम में हजारों की संख्या में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी और सेवादार मौजूद रहे।

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